Governmentjobs Webteam: Nidhivan, बृजभूमि के कण-कण में राधा-कृष्ण हैं, इसलिए बृजभूमि को कान्हा की नगरी भी कहा जाता है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। बृजभूमि में जगह-जगह राधा-कृष्ण के मंदिर बने हैं। यूं तो यहां के मंदिर हर दिन रंग-बिरंगे होते हैं, लेकिन जन्माष्टमी के पावन मौके पर यहां का नजारा देखने लायक होता है। देश के कोने-कोने से कान्हा भक्त यहां भक्ति के रंग में रंगने आते हैं।
निधिवन मंदिर, जहां सूरज ढलने से पहले भी प्रवेश वर्जित है
कान्हा की इस नगरी में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कुछ मंदिरों को लेकर आज भी तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है वृंदावन का निधिवन मंदिर जहां सूरज ढलने से पहले ही श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हर रात श्रीकृष्ण अपनी गोपियों के साथ राधा के साथ रासलीला करने आते हैं। निधिवन मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं।
आइए जानते हैं निधिवन से जुड़ी मान्यता के बारे में
अन्य वनों की तरह निधि वन भी पेड़-पौधों से घिरा हुआ है। श्रीकृष्ण के चरणकमलों से यह स्थान और भी पवित्र हो जाता है। मंदिर में झाड़ियों के बीच में एक छोटा सा रंग महल बना हुआ है। धार्मिक कथन के अनुसार श्री कृष्ण रासलीला करने के लिए अपनी गोपियों के साथ रात में इस रंग महल में आते हैं।
आम लोगों के लिए यह सब देखना मना है क्योंकि सुनने में आया है कि आज तक जिसने भी इस दृश्य को देखने की कोशिश की वो किसी दर्दनाक मौत का शिकार हुआ या पागल हो गया। यही कारण है कि शाम के समय किसी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता है और शरद पूर्णिमा की रात को मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से वर्जित होता है।
तुलसी के पेड़ रात में गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं
शाम ढलते ही निधिवन मंदिर को खाली कर दिया जाता है, लेकिन दिन में आने वाले श्रद्धालु कभी भी मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में तुलसी, मेहंदी और कदंब के पेड़ों की सबसे बड़ी संख्या है। खास बात यह है कि यहां तुलसी के पेड़ जोड़ों के रूप में मौजूद हैं जो रात में गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं। रंग महल के साथ ही यहां राधा रानी का एक मंदिर भी है जो बहुत प्रसिद्ध है।
यह नजारा रोज सुबह मंदिर के कपाट खुलने पर देखने को मिलता है।
मान्यता के अनुसार रंग महल में श्री कृष्ण और राधा रानी के श्रृंगार का सामान और दातुन पान का जल और भोग भी रखा जाता है। कहा जाता है कि सुबह जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो अद्भुत नजारा दिखाई देता है।
दृश्य में पानी का पात्र खाली है और पान के पत्ते भी खाए हुए मिले हैं। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण यहां रोज रात को भोग लगाकर आते हैं। इन्हीं मान्यताओं को लेकर श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।